Surya Mantra: श्री सूर्य देव के 48 चमत्कारिक मंत्र
सूर्यदेव नवग्रह समूह का मुख्य ग्रह है। आज के लेख में हम श्री सूर्य देव की विविध मंत्रों के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे। ये सभी मंत्र बड़ी ही चमत्कारिक मंत्र है। इनके प्रयोग से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।
श्री सूर्य देव के विविध मंत्र
कुंडली में सूर्य दोष को दूर करने का मंत्र
यदि आपकी कुंडली में सूर्य दोष है। सूर्य दोष के कारण शुभ फल नहीं मिल रहा है। वैसे मे आपको प्रतिदिन सूर्य देव की पूजा आराधना करनी चाहिए। प्रथम सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके सूर्यदेव को अर्घ्य देना चाहिए। सूर्यदेव को अर्घ्य देने के साथ नीचे दिए सूर्य गायत्री मंत्र का उच्चारण करें :-
सूर्य गायत्री मंत्र
“ॐ आदित्याय विदमहे प्रभाकराय धीमहितन्न: सूर्य प्रचोदयात् ।।”
श्री सूर्य दोष को मिटाने के लिए तथा भगवान श्री सूर्य देव से मनोवांछित फल पाने के लिए सूर्य देव की पूजा आराधना विधिपूर्वक प्रतिदिन करनी चाहिए। श्री सूर्य देव की पूजा वंदना के लिए नीचे कुछ मंत्र बता रहे हैं।
श्री सूर्य देव का प्रार्थना मंत्र
ग्रहाणामादिरादित्यो लोक लक्षण कारक:।
विषम स्थान संभूतां पीड़ां दहतु मे रवि।।
इस मंत्र का जाप करने से श्री सूर्यदेव शीघ्र ही प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा से सभी मनोरथ पूरे होते हैं.
श्री सूर्यदेव की वंदना
नमो नमस्तेस्तु सदा विभावसो, सर्वात्मने सप्तहयाय भानवे।
अनंतशक्तिर्मणि भूषणेन, वदस्व भक्तिं मम मुक्तिमव्ययाम्।।
श्री सूर्यदेव का तंत्रोक्त मंत्र –
“ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम:।
श्री सूर्य देव की इस मंत्र का जाप 7000 बार करे
कुंडली में सूर्य से जुड़े दोष को दूर करने का मंत्र
जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयम् महाद्युतिम्।
तमोरिं सर्वपापघ्नं प्रणतोस्मि दिवाकरम्।।
ग्रहणामादिरादित्यो लोक लक्षण कारक:।
विषम स्थान संभूतां पीड़ां दहतु में रवि:।।
श्री सूर्य स्तुति की चौपाई
प्रातः काल श्री सूर्य देव की पूजा नीचे दिए चौपाईयों से करें
चौपाई
सूर्यदेव मैं सुमिरौ तोही।
सुमिरत ज्ञान–बुद्धि दे मोही।।
तुम आदित परमेश्वर स्वामी।
अलख निरंजन अंतरजामी।।
ज्योति–प्रताप तिहूं पुर राजै।
रूप मनोहर कुंडल भ्राजै।।
नील वर्ण छबि तुम असवारी।
ज्ञान निधान धरम व्रतधारी।।
एक रूप राजत तिहुं लोका।
सुमिरत नाम मिटै सब सोका।।
नमस्कार करि जो नर ध्यावहिं।
सुख–संपति नानाबिधि पावहिं।।
दोहा
ध्यान करत ही मिटत तम उर अति होत प्रकास।।
जै आदित सर्वस्व सिव देहु भक्ति सुखरास।।
इसके अलावा आप अगर चाहें तो श्री सूर्य भगवान की कृपा पाने के लिए इस चौपाई और मंत्रों के साथ श्रीसूर्यस्तवराज: और सूर्यार्यास्तोत्रम् का पाठ भी कर सकते हैं।
श्री सूर्य देव की मनोकामनापुर्ति मंत्र
प्रत्येक रविवार को या सूर्य देव का पूजा करते समय नीचे दिए मंत्रों का 108 बार जाप करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। नीचे दिए मंत्रों में से अपनी सुविधा अनुसार जो भी मंत्र सरल लगे उसका नियम से 108 बार जाप करें, निश्चय ही मनोकामना पूर्ण होगी।
1. ऊं घृणिं सूर्य्य: आदित्य:
2. ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।
3. ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।
4. ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ ।
5. ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः ।
आइए अब श्री सूर्यदेव के उन 12 मंत्रों के बारे में जानते हैं, जिनका जाप करने पर श्री सूर्य देव से शीघ्र ही मनचाहा आशीर्वाद मिलता है।
1. ॐ हृां मित्राय नम:
श्री सूर्य देव जी की इस मंत्र के जाप से अच्छी सेहत अच्छे स्वास्थ्य का वरदान मिलता है। इस मंत्र का प्रभाव हृदय पर विशेष रूप से पड़ता है। साथ ही इस मंत्र के प्रभाव से व्यक्ति का कार्य क्षमता में बढ़ोतरी होता है। वह कोई भी कार्य बड़े अच्छे ढंग से कर सकता है।
2. ॐ हृीं रवये नम:
श्री सूर्य देव जी की इस मंत्र का जाप करने से शरीर में रक्त संचार में तेजी आती है। रक्त संचार संतुलित होता है। इस मंत्र के प्रभाव से क्षय रोग तथा कफ जन्य रोग दूर होता है।
3. ॐ हृूं सूर्याय नम:
श्री सूर्य देव जी के इस मंत्र का श्रद्धा पूर्वक जाप करने से मानसिक शांति प्राप्त होता है। साथ ही साथ ज्ञान और बुद्धि में वृद्धि होती है।
4. ॐ ह्रां भानवे नम:
इस मंत्र का जप करने से शरीर में तेज ओज की वृद्धि होती है। साथ ही प्रजनन अंग व मूत्राशय से जुड़ी बीमारियों में विशेष लाभ मिलता है। इस मंत्र के जाप से धातु पुष्ट होता है।
5. ॐ हृों खगाय नम:
श्री सूर्य देव जी के इस मंत्र का जाप करने से शारीरिक व मानसिक विकास होता है। बल बुद्धि में वृद्धि होता है। साथ ही मलाशय से संबंधित बीमारियों में लाभ मिलता है।
6. ॐ हृ: पूषणे नम:
श्री सूर्य देव जी के इस मंत्र का जाप करने से मनुष्य में बल और धैर्य दोनों बढ़ोतरी होता है। भगवान श्री सूर्यदेव की कृपा से मनुष्य का मन धार्मिक विषयों में लगता है।
7. ॐ ह्रां हिरण्यगर्भाय नमः
श्री सूर्यदेव जी के इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को अनेक विषयों का ज्ञान प्राप्त होता है। यह मंत्र विद्यार्थियों के लिए विशेष लाभदायक है। इस मंत्र का जाप करने से शारीरिक, बौद्धिक एवं मानसिक शक्तियां विकसित होती हैं।
8. ॐ मरीचये नमः
श्री सूर्यदेव जी के इस मंत्र का जाप करने से मनुष्य को शारीरिक कष्ट रोग व्याधि आदि बाधा नहीं सताती है। अच्छी स्वास्थ्य और शरीर की कान्ति बनी रहती है।
9. ॐ आदित्याय नमः
श्री सूर्य देव जी के इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति में प्रभावशीलता बढ़ता है। हर लोगों पर उनका प्रभाव बढ़ता है। बुद्धि प्रखर होती है आर्थिक उन्नति प्राप्त होती है।
10. ॐ सवित्रे नमः
इस मंत्र का जाप करने से मनुष्य का यश चारों ओर बढ़ता है। सूर्य देव की कृपा से उनका बौद्धिक विकास होता है। साथ ही उसकी कल्पनाशक्ति बढ़ती है।
11. ॐ अर्काय नमः
श्री सूर्य देव जी के इस मंत्र जाप करने से मन की दृढ़ता मजबूत होती है। जीवन से जुड़े सारी चिंताएं दूर होती हैं। जो लोग वेदों के रहस्यों को अथवा विभिन्न शास्त्रों के रहस्यों को जानना चाहते हैं, उनके लिए यह मंत्र बड़ा लाभदायक है।
12. ॐ भास्कराय नमः
श्री सूर्य देव जी के इस मंत्र का जाप करने से शरीर की आंतरिक एवं बाह्य दोनों प्रकार से स्वक्षता उत्पन्न होती है। श्री सूर्य देव जी की कृपा से साधक का शरीर कांतिमय होता है और उसका मन सदा प्रसन्न रहता है।
मनोकामना पूर्ति मंत्र
नीचे दिए गए मंत्रों का पाठ सच्चे मन से प्रतिदिन 108 बार करने से निश्चय ही सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। इस मंत्र के पाठ से भगवान श्री सूर्य देव जी के कृपा प्राप्त होती है :-
1. ॐ घृणिं सूर्य्य: आदित्य:
2. ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।
3. ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।
4. ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ ।
5. ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः ।
6. ॐ सूर्याय नम: ।
7. ॐ घृणि सूर्याय नम: ।
सूर्य नमस्कार के 12 मंत्र
सूर्य नमस्कार नामक योगासन में 12 आसन क्रियाएं होती है। इसमें प्रत्येक आसन में श्री सूर्य देव जी के 1 मंत्र का नाम लिया जाता है। सूर्य नमस्कार को प्रत्येक आसनों का राजा कहा जाता है। आइए इसमें प्रयोग किए जाने वाले 12 मंत्र निम्न है :-
* ॐ सूर्याय नम: ।
* ॐ भास्कराय नम:।
* ऊं रवये नम: ।
* ऊं मित्राय नम: ।
* ॐ भानवे नम:
* ॐ खगय नम: ।
* ॐ पुष्णे नम: ।
* ॐ मारिचाये नम: ।
* ॐ आदित्याय नम: ।
* ॐ सावित्रे नम: ।
* ॐ आर्काय नम: ।
* ॐ हिरण्यगर्भाय नम: ।
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