Surya Chalisa ke fayde: श्री सूर्य चालीसा पढ़ने के 11 अद्भुत फायदे

श्री सूर्य चालीसा पढ़ने के 11 अद्भुत चमत्कारिक फायदे। श्री सूर्य चालीसा पढ़ने से सभी वर्गों के लोगों को विशेष लाभ मिलता है। आज हम यहां पर श्री सूर्य चालीसा के पाठ से होने वाले फायदे व लाभ के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे । आइए आज के लेख में हम क्या क्या जानेंगे उसे क्रमवार जानते हैं :-

  1. श्री सूर्य चालीसा पढ़ने के लाभ
  2. श्री सूर्य देव का मंत्र
  3. श्री सूर्य देव के 12 नाम
  4. श्री सूर्य चालीसा लिरिक्स

1. श्री सूर्य चालीसा के लाभ

जैसे देवताओं में भगवान श्री सूर्य नारायण का विशेष महत्व है, वैसे ही श्री सूर्य चालीसा का भी विशेष महत्व है। यहां पर हम श्री सूर्य चालीसा का पाठ सच्चे मन से करने से कौन कौन से लाभ मिलता है, उसके बारे में जानेंगे :-

1. दीर्घायु प्राप्ति

श्री सूर्य चालीसा के पाठ से व्यक्ति लम्बी उम्र प्राप्त करता है। जो व्यक्ति दीर्घायु प्राप्त करना चाहता है, उसे निश्चय ही श्री सूर्य नारायण का चालीसा पाठ करना चाहिए।

2. रोग व्याधि दूर होता है

श्री सूर्य चालीसा पढ़ने से सभी प्रकार के शारीरिक कष्ट, मानसिक कष्ट दूर होते हैं। व्यक्ति को रोग व्याधि से निजात पाने में कामयाबी हासिल होता है। व्यक्ति निरोगी बनता है।

3. आरोग्य जीवन

जो व्यक्ति विधिपूर्वक श्री सूर्य नारायण की पूजा आराधना करते हैं व श्री सूर्य चालीसा का पाठ करते हैं। उन्हें आरोग्य जीवन की प्राप्ति होती है।

4. अकाल मृत्यु दूर होता है

श्री सूर्य चालीसा का नियमित पाठ से अकाल मृत्यु का संकट दूर होता है। दुर्घटना आदि से बचाव होता है।

परंतु यहां पर एक बात का सदा ध्यान रखें कि लापरवाही किसी भी हालत में क्षमायोग्य नहीं है। आप लापरवाही पुर्वक वाहन चलाकर दुर्घटना का शिकार होंगे या आप लापरवाहीपुर्ण खान-पान रहन-सहन रखेंगे और बीमारियों का शिकार होंगे। इसका जिम्मेदार आप स्वयं होंगे।

5. धन संपत्ति में बढ़ोतरी

श्री सूर्य चालीसा के पाठ से काम धंधा अच्छे से चलता है। कारोबार, व्यवसाय में सफलता हासिल होता है। रुकावटें दूर होती है। सफलता प्राप्त होने से धन संपत्ति में बढ़ोतरी होती है।

6. धन धान्य अन्न संपदा की प्राप्ति

जो व्यक्ति उत्पादक है या किसान वर्ग से आते हैं, उन्हें उत्पादन अच्छा मिलता है। जिससे धन धान्य अन्न संपदा की बढ़ोत्तरी होती है।

7. पुत्र प्राप्ति

श्री सूर्य चालीसा का नियमित विधिपूर्वक पाठ करने से श्री सूर्य देव प्रसन्न होते हैं। जिससे गुणवान पुत्र का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

8. शत्रु पर विजय प्राप्ति

श्री सूर्य देव की पूजा व सूर्य चालीसा का पाठ करने से शत्रु पर विजय प्राप्ति होता है।

9. यश कीर्ति व मान सम्मान में बढ़ोतरी

श्री सूर्य चालीसा के पाठ से व्यक्ति का यश कीर्ति में बढ़ोतरी होती हैं। साथ ही समाज में मान सम्मान बढ़ता है।

10. विद्या प्राप्ति

श्री सूर्य चालीसा का पाठ विद्यार्थि वर्ग के लिए भी विशेष उपयोगी है। श्री सूर्य देव की पूजा व सूर्य चालीसा के पाठ से विद्या अध्ययन में विशेष लाभ मिलता है। पढ़ाई में निश्चित सफलता प्राप्त होती है।

11. सौभाग्य प्राप्ति

श्री सूर्य चालीसा के पाठ से व्यक्ति की सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, सौभाग्य प्राप्त होती हैं। व्यक्ति सौभाग्यशाली बनता है।

2. श्री सूर्य देव का मंत्र

श्री सूर्य देव के नीचे दिए गए मंत्रों का विधिपूर्वक जाप करने से भी बहुत लाभ प्राप्त होता हैं

– ऊं घृ‍णिं सूर्य्य: आदित्य:

– ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।

– ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते,

अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।

– ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ।

– ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः।

 

3. श्री सूर्य देव के 12 नाम

भगवान श्री सूर्यदेव ही एक मात्र ऐसे देव हैं जो प्रत्यक्ष हैं। हम सब इन्हें प्रतिदिन देख पाते हैं। श्री सूर्य देव को ऊर्जा प्रदान करने वाला देव माना जाता है। श्री सूर्यदेव की पूजा करते समय अगर उनके 12 नामों का जाप किया जाए तो इससे सूर्यदेव प्रसन्न हो जाते हैं। तो आइए जानते हैं सूर्यदेव के ये 12 नाम कौन कौन से हैं :-

सूर्य के इन 12 नामों का करें जाप

1- ॐ सूर्याय नम:।

2- ॐ मित्राय नम:।

3- ॐ रवये नम:।

4- ॐ भानवे नम:।

5- ॐ खगाय नम:।

6- ॐ पूष्णे नम:।

7- ॐ हिरण्यगर्भाय नम:।

8- ॐ मारीचाय नम:।

9- ॐ आदित्याय नम:।

10- ॐ सावित्रे नम:।

11- ॐ अर्काय नम:।

12- ॐ भास्कराय नम:।

 

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4. श्री सूर्य चालीसा लिरिक्स हिंदी में

॥दोहा॥

कनक बदन कुण्डल मकर, मुक्ता माला अङ्ग।

पद्मासन स्थित ध्याइए, शंख चक्र के सङ्ग॥

॥चौपाई॥

जय सविता जय जयति दिवाकर ।

सहस्त्रांशु सप्ताश्व तिमिरहर ॥1

भानु पतंग मरीची भास्कर ।

सविता हंस सुनूर विभाकर ॥ 2

विवस्वान आदित्य विकर्तन ।

मार्तण्ड हरिरूप विरोचन ॥3

अम्बरमणि खग रवि कहलाते ।

वेद हिरण्यगर्भ कह गाते ॥ 4

सहस्त्रांशु प्रद्योतन, कहिकहि ।

मुनिगन होत प्रसन्न मोदलहि ॥5

अरुण सदृश सारथी मनोहर ।

हांकत हय साता चढ़ि रथ पर ।।6

मंडल की महिमा अति न्यारी ।

तेज रूप केरी बलिहारी ॥7

उच्चैःश्रवा सदृश हय जोते ।

देखि पुरन्दर लज्जित होते ॥8

मित्र मरीचि, भानु, अरुण, भास्कर ।

सविता सूर्य अर्क खग कलिकर ॥9

पूषा रवि आदित्य नाम लै ।

हिरण्यगर्भाय नमः कहिकै ॥10

द्वादस नाम प्रेम सों गावैं ।

मस्तक बारह बार नवावैं ॥11

चार पदारथ जन सो पावै ।

दुःख दारिद्र अघ पुंज नसावै ॥12

नमस्कार को चमत्कार यह ।

विधि हरिहर को कृपासार यह ॥13

सेवै भानु तुमहिं मन लाई ।

अष्टसिद्धि नवनिधि तेहिं पाई ॥14

बारह नाम उच्चारन करते ।

सहस जनम के पातक टरते ॥15

उपाख्यान जो करते तवजन ।

रिपु सों जमलहते सोतेहि छन ॥16

धन सुत जुत परिवार बढ़तु है।

प्रबल मोह को फंद कटतु है ॥17

अर्क शीश को रक्षा करते ।

रवि ललाट पर नित्य बिहरते ॥18

सूर्य नेत्र पर नित्य विराजत ।

कर्ण देस पर दिनकर छाजत ॥19

भानु नासिका वासकरहुनित ।

भास्कर करत सदा मुखको हित ॥20

ओंठ रहैं पर्जन्य हमारे।

रसना बीच तीक्ष्ण बस प्यारे ॥21

कंठ सुवर्ण रेत की शोभा ।

तिग्म तेजसः कांधे लोभा ॥22

पूषां बाहू मित्र पीठहिं पर ।

त्वष्टा वरुण रहत सुउष्णकर ॥23

युगल हाथ पर रक्षा कारन ।

भानुमान उरसर्म सुउदरचन ॥24

बसत नाभि आदित्य मनोहर ।

कटिमंह, रहत मन मुदभर ॥25

जंघा गोपति सविता बासा ।

गुप्त दिवाकर करत हुलासा ।।26

विवस्वान पद की रखवारी ।

बाहर बसते नित तम हारी ॥27

सहस्त्रांशु सर्वांग सम्हारै ।

रक्षा कवच विचित्र विचारे ॥28

अस जोजन अपने मन माहीं ।

भय जगबीच करहुं तेहि नाहीं ॥29

दद्रु कुष्ठ तेहिं कबहु न व्यापै ।

जोजन याको मन मंह जापै ॥30

अंधकार जग का जो हरता ।

नव प्रकाश से आनन्द भरता ॥31

ग्रह गन ग्रसि न मिटावत जाही ।

कोटि बार मैं प्रनवौं ताही ॥32

मंद सदृश सुत जग में जाके ।

धर्मराज सम अद्भुत बांके ॥33

धन्य-धन्य तुम दिनमनि देवा ।

किया करत सुरमुनि नर सेवा ॥34

भक्ति भावयुत पूर्ण नियम सों ।

दूर हटतसो भवके भ्रम सों ॥35

परम धन्य सों नर तनधारी ।

हैं प्रसन्न जेहि पर तम हारी ॥36

अरुण माघ महं सूर्य फाल्गुन ।

मधु वेदांग नाम रवि उदयन ॥37

भानु उदय बैसाख गिनावै ।

ज्येष्ठ इन्द्र आषाढ़ रवि गावै ॥38

यम भादों आश्विन हिमरेता ।

कातिक होत दिवाकर नेता ॥39

अगहन भिन्न विष्णु हैं पूसहिं ।

पुरुष नाम रविहैं मलमासहिं ॥40

॥दोहा॥

भानु चालीसा प्रेम युत, गावहिं जे नर नित्य ।

सुख सम्पत्ति लहि बिबिध, होंहिं सदा कृतकृत्य ॥

 

दोस्तों आज के लेख में हमने श्री सूर्य चालीसा पढ़ने से होने वाले फायदे व लाभ के बारे में जानकारी प्राप्त किया। साथ ही श्री सूर्य देव के मंत्र व उनके 12 नामों के बारे में भी जाना। आप अपनी राय या सुझाव हमें कामेंट बाक्स में बता सकते हैं। हमारे सभी आर्टिकल का लिस्ट देखने के लिए यहां क्लिक करें

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