Nakoda Bhairav Chalisa: श्री नाकोड़ा भैरव चालीसा व इसे पढ़ने के फायदे
नाकोड़ा भैरव चालीसा के पाठ से शारीरिक रोग व्याधि दूर होती है तथा रिद्धि सिद्धि धन संपदा की प्राप्ति होती है। दुष्ट देव व भूत प्रेत की बुरी साया दूर होती है। नाकोड़ा भैरव चालीसा के पाठ से जीवन में मंगल ही मंगल होती है।
इसका पाठ सच्चे मन से करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। श्री नाकोड़ा भैरव चालीसा के फायदे व लाभ के बारे में जानकारी के बाद आइए अब चालीसा का पाठ करते हैं :-
श्री नाकोड़ा भैरव चालीसा – हिंदी में
।। दोहा ।।
पार्श्वनाथ भगवान की, मूरत चित् बसाए।
भैरव चालीसा लिखू, गाता मन हरसाए।।
।। चौपाई ।।
श्री नाकोडा भैरव सुखकारी।
गूं गाती है दुनिया सारी।।1।।
भैरव की महिमा अति भारी।
भैरव का नाम जपे नर नारी।।2।।
जिनवर के है आज्ञाकारी।
श्रद्धा रखते संकित धारी।।3।।
प्रात: उठे जो भेरू ध्याता।
रिद्धि सिद्धि सब सम्पद पाता।।4।।
भेरू नाम जपे जो कोई।
उस घर मैं नित् मंगल होई।।5।।
नाकोडा लाखो नर आवे।
श्रद्धा से प्रसाद चडावे।।6।।
भैरव भैरव आन पुकारे।
भक्तो के सब कष्ठ निवारे।।7।।
भैरव दर्शन शक्तिशाली।
दर से कोई न जावे खाली।।8।।
जो नर निथ उठ तुमको ध्यावे।
भूत पास आने नहीं पावे।।9।।
डाकन छु मंतर होजावे।
दुष्ट देव आडे नहीं आवे।।10।।
मारवाड की दिव्य मणि है।
हम सब के तो आप धनि है।।11।।
कल्पतरु है पर्तिख भेरू।
इच्छित देता सब को भेरू।।12।।
अधि व्याधि सब दोष मिटावे।
सुमिरत भेरू शांति पावे।।13।।
बाहर पर्देसे जावे नर।
नाम मंत्र भेरू का लेकर।।14।।
चोगडिया दूषण मिट जावे।
काल राहू सब नाठा जावे ।।15।।
परदेशो मैं नाम कमावे,
मन वांछित धन सम्पद पावे।। 16।।
तन मैं साथा मन मैं साथा।
जो भेरू को नित्य मनाता।।17।।
डूंगर वासी काला भैरव।
सुख कारक है गोरा भैरव।।18।।
जो नर भक्ति से गुण गावें।
दिव्य रत्न सुख मंगल पावे।।19।।
श्रद्धा से जो शीश झुकावे।
भेरू अमृत रस बरसावे।।20।।
मिलजुल सब नर फेरे माला।
पीते सब अमृत का प्याला।।21।।
मेघ झरे जो झरते निर्झर।
खुशाली चावे धरती पर।।22।।
अन्न सम्पदा भर भर पावे।
चारो और सुकाल बनावे।।23।।
भेरू है सचा रखवाला।
दुश्मन मित्र बनाने वाला।।24।।
देश देश मैं भेरू गांजे।
खूंट खूंट मैं डंका बाजे।।25।।
है नहीं अपना जिनके कोई।
भेरू सहायक उनके होई।।26।।
नाभि केंद्रे से तुम्हे बुलावे।
भेरू झट पट दौड़े आवे ।।27।।
भूके नर की भूक मिटावे।
प्यासे नर को निर् पिलावे।।28।।
इधर उधर अब नहीं भटकना।
भेरू के नित पाँव पकड़ना।।29।।
वंचित सम्पद आन मिलेगी।
सुख की कालिया नित्य खिलेगी।।30।।
भेरू गन खरतर के देवा।
सेवा से पाते नर मेवा।।31।।
किर्तिरत्न की आज्ञा पाते।
हुक्म हाजिरी सदा बजाते।।32।।
ओं ह्रीं भैरव बम बम भैरव।
कष्ट निवारक भोला भैरव।।33।।
नैन मुंध धुन रात लगावे।
सपने मैं वो दर्शन पावे।।34।।
प्रश्नो के उत्तर झट मिलते।
रास्ते के कनकट सब मिटते।।35।।
नाकोडा भेरू नित् ध्यावो।
संकट मेटों मंगल पावो।।36।।
भेरू जपंता मालन माला।
बुझ जाती दुखो की ज्वाला।।37।।
निथ उठ जो चालीसा गावे।
धन सुत से घर स्वर्ग बनावे।।38।।
।। दोहा ।।
भेरू चालीसा पढ़े, मन मैं श्रधा धार।
कष्ट कटे महिमा बढे, सम्पद होत अपार ।। 1 ।।
जिन कांति सूरी गुरु राज के, शिष्य मणिप्रभराय।
भैरव के सानिध्य मैं, यह चालीसा गाये ।। 2 ।।
-: श्री नाकोड़ा भैरव चालीसा समाप्त :-
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