Shri Kali Chalisa ke Fayde: श्री काली चालीसा के 10 अद्भुत फायदे
श्री काली चालीसा के पाठ के 10 अद्भुत चमत्कारिक फायदे व लाभ। श्री काली चालीसा का पाठ सच्चे मन से करने पर मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। आज हम यहां पर श्री काली चालीसा के पाठ से होने वाले फायदे व लाभ के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।
1. श्री काली चालीसा पढ़ने के फायदे व लाभ
श्री काली चालीसा मां काली के स्तुति में लिखी काव्य रचना है। इसमें मां काली के शौर्य पराक्रम एवं उनकी महानता का वर्णन किया गया है। आइए अब श्री काली चालीसा की नियमित पाठ सच्चे मन और पूर्ण श्रद्धा भक्ति के साथ करने से क्या फायदे व लाभ मिलता है वह जानते हैं :-
- अष्टभुजी मां काली को सुखदायक कहां गया है। श्री काली चालीसा के पाठ से सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है।
- श्री काली चालीसा के पाठ से शत्रुओं पर विजय प्राप्ति होती है। श्री काली माता शत्रुओं का नाश करती है।
- श्री काली चालीसा के पाठ से मां काली प्रसन्न होती है। मां काली की कृपा से कलयुग में कलि के सारे प्रभाव दूर होते हैं।
- जो भक्त सच्चे मन से श्री काली चालीसा का पाठ करते हैं उनके श्री काली मां उनका सभी प्रकार से रक्षा करते हैं।
- किसी भी प्रकार के संकट परेशानी या मुसीबत आने पर श्री काली चालीसा का पाठ करने से वह परेशानी तुरंत दूर होती है।
- जो भी सच्चे मन से श्री काली चालीसा का पाठ करते हैं वह इस सांसारिक भव बंधन से मुक्ति पाते हैं।
- जो भक्त नियमित सच्चे मन से श्री काली चालीसा का पाठ करते हैं, उसे मृत्यु उपरांत स्वर्ग की प्राप्ति होती है।
- जो भी व्यक्ति श्री काली चालीसा का पाठ सच्चे मन एवं पूर्ण श्रद्धा के साथ करते हैं, उनकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती है उसे मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
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2. श्री काली चालीसा
दोहा
जयकाली कलिमलहरण, महिमा अगम अपार।
महिष मर्दिनी कालिका, देहु अभय अपार ॥
चौपाई
अरि मद मान मिटावन हारी ।
मुण्डमाल गल सोहत प्यारी ॥1
अष्टभुजी सुखदायक माता ।
दुष्टदलन जग में विख्याता ॥2
भाल विशाल मुकुट छवि छाजै ।
कर में शीश शत्रु का साजै ॥3
दूजे हाथ लिए मधु प्याला ।
हाथ तीसरे सोहत भाला ॥4
चौथे खप्पर खड्ग कर पांचे ।
छठे त्रिशूल शत्रु बल जांचे ॥5
सप्तम करदमकत असि प्यारी ।
शोभा अद्भुत मात तुम्हारी ॥6
अष्टम कर भक्तन वर दाता ।
जग मनहरण रूप ये माता ॥7
भक्तन में अनुरक्त भवानी ।
निशदिन रटें ॠषी-मुनि ज्ञानी ॥8
महशक्ति अति प्रबल पुनीता ।
तू ही काली तू ही सीता ॥9
पतित तारिणी हे जग पालक ।
कल्याणी पापी कुल घालक ॥10
शेष सुरेश न पावत पारा ।
गौरी रूप धर्यो इक बारा ॥11
तुम समान दाता नहिं दूजा ।
विधिवत करें भक्तजन पूजा ॥12
रूप भयंकर जब तुम धारा ।
दुष्टदलन कीन्हेहु संहारा ॥13
नाम अनेकन मात तुम्हारे ।
भक्तजनों के संकट टारे ॥14
कलि के कष्ट कलेशन हरनी ।
भव भय मोचन मंगल करनी ॥15
महिमा अगम वेद यश गावैं ।
नारद शारद पार न पावैं ॥16
भू पर भार बढ्यौ जब भारी ।
तब तब तुम प्रकटीं महतारी ॥17
आदि अनादि अभय वरदाता ।
विश्वविदित भव संकट त्राता ॥18
कुसमय नाम तुम्हारौ लीन्हा ।
उसको सदा अभय वर दीन्हा ॥19
ध्यान धरें श्रुति शेष सुरेशा ।
काल रूप लखि तुमरो भेषा ॥20
कलुआ भैंरों संग तुम्हारे ।
अरि हित रूप भयानक धारे ॥21
सेवक लांगुर रहत अगारी ।
चौसठ जोगन आज्ञाकारी ॥22
त्रेता में रघुवर हित आई ।
दशकंधर की सैन नसाई ॥23
खेला रण का खेल निराला ।
भरा मांस-मज्जा से प्याला ॥24
रौद्र रूप लखि दानव भागे ।
कियौ गवन भवन निज त्यागे ॥25
तब ऐसौ तामस चढ़ आयो ।
स्वजन विजन को भेद भुलायो ॥26
ये बालक लखि शंकर आए ।
राह रोक चरनन में धाए ॥27
तब मुख जीभ निकर जो आई ।
यही रूप प्रचलित है माई ॥28
बाढ्यो महिषासुर मद भारी ।
पीड़ित किए सकल नर-नारी ॥29
करूण पुकार सुनी भक्तन की ।
पीर मिटावन हित जन-जन की ॥30
तब प्रगटी निज सैन समेता ।
नाम पड़ा मां महिष विजेता ॥31
शुंभ निशुंभ हने छन माहीं ।
तुम सम जग दूसर कोउ नाहीं ॥32
मान मथनहारी खल दल के ।
सदा सहायक भक्त विकल के ॥33
दीन विहीन करैं नित सेवा ।
पावैं मनवांछित फल मेवा ॥34
संकट में जो सुमिरन करहीं ।
उनके कष्ट मातु तुम हरहीं ॥35
प्रेम सहित जो कीरति गावैं ।
भव बन्धन सों मुक्ती पावैं ॥36
काली चालीसा जो पढ़हीं ।
स्वर्गलोक बिनु बंधन चढ़हीं ॥37
दया दृष्टि हेरौ जगदम्बा ।
केहि कारण मां कियौ विलम्बा ॥38
करहु मातु भक्तन रखवाली ।
जयति जयति काली कंकाली ॥39
सेवक दीन अनाथ अनारी ।
भक्तिभाव युति शरण तुम्हारी ॥40
दोहा
प्रेम सहित जो करे, काली चालीसा पाठ ।
तिनकी पूरन कामना, होय सकल जग ठाठ ॥
आज हमने श्री काली चालीसा के पाठ से होने वाले फायदे व लाभ के बारे में जानकारी प्राप्त किया। आप अपनी राय या सुझाव हमें कामेंट बाक्स में बता सकते हैं। हमारे सभी आर्टिकल का लिस्ट देखने के लिए साइटमैप पर क्लिक करें।