Shri Giriraj Chalisa ke Fayde: श्री गिरिराज चालीसा के 10 अद्भुत फायदे
सच्चे मन से श्री गिरिराज चालीसा का पाठ करने से श्री गिरिराज जी की कृपा प्राप्त होती है। आइए अब नज़र डालते हैं और जानते हैं कि आज के लेख में हम क्या क्या जानेंगे :-
- श्री गिरिराज चालीसा क्या है, इसका क्या महत्व है?
- श्री गिरिराज चालीसा के पाठ से क्या फायदे होता है
- श्री गिरिराज जी कौन है ?
- श्री गिरिराज चालीसा का पाठ
1. श्री गिरिराज चालीसा क्या है, इसका क्या महत्व हैं ?
श्री गिरिराज चालीसा श्री गिरिराज गोवर्धन जी को समर्पित काव्य रचना है। इसमें 4 दोहे व 40 चौपाई हैं। 2 दोहे शुरुआत में है, उसके बाद 40 चौपाई हैं। अंत में 2 दोहे फिर है। इन 40 चौपाइयों के कारण ही इस काव्य रचना को चालीसा कहते हैं तथा इसके पाठ को चालीसा पाठ कहते हैं। इन 40 चौपाइयों में श्री गिरिराज जी के महिमा का यशोगान किया गया है।
श्री गिरिराज जी की पूजा में श्री गिरिराज चालीसा का विषेश महत्त्व है। श्री गिरिराज चालीसा के नियमित पाठ से वह अतिशीघ्र प्रसन्न होते हैं। श्री गिरिराज चालीसा का पाठ प्रतिदिन सुबह व शाम को करनी चाहिए। ऐसा करने से श्री गिरिराज जी की शीघ्र कृपा प्राप्त होती है। श्री गिरिराज जी की पूजा व श्री गिरिराज चालीसा का पाठ भगवान श्री कृष्ण को बहुत प्रिय है।
2. श्री गिरिराज चालीसा के पाठ से क्या फायदे होता है ?
आइए अब सच्चे मन व पूर्ण श्रद्धा से श्री गिरिराज चालीसा का पाठ करने से क्या फायदे होता है उस पर नज़र डालते हैं :-
1 सच्चे मन से श्री गिरिराज चालीसा का पाठ करने से भक्तों की सारी कठनाइयां, दुःख तकलीफ दूर होती है।
2. जो भी भक्त नियमित सच्चे मन से इस चालीसा का पाठ करता है, उसे मृत्यु उपरांत स्वर्ग की प्राप्ति होती है।
3. जो साधक श्री गिरिराज जी की पूजा करता है, उन्हें दूध अर्पण करता है, भोग लगाता है और चालीसा का पाठ करता है उसका शारीरिक कष्ट व्याधि दूर होता है।
4. जो व्यक्ति श्री गिरिराज चालीसा का पाठ करता है उसके घर अन्न धन रुपए पैसे की बढ़ोतरी होती है।
5. नि:संतान को संतान की प्राप्ति होती है, पुत्रहीन को पुत्र की प्राप्ति होती है। श्री गिरिराज जी कृपा से किसी भी भक्त की गोद खाली नहीं रहता है।
6. श्री गिरिराज चालीसा के पाठ से उनके प्रभाव से मनुष्य को भवसागर से मुक्ति मिलती है।
7. श्री गिरिराज चालीसा का पाठ करने से श्री गिरिराज जी अपने भक्तों का सभी प्रकार से उनका सहायता करता है।
8. श्री गिरिराज चालीसा के पाठ से सभी प्रकार के विघ्न बाधा विपत्तियां दूर होती है।
9. श्री गिरिराज जी की कृपा से व्यक्ति भयमुक्त निर्भय होकर अपना जीवन यापन करता है।
10. श्री गिरिराज गोवर्धन की पूजा से श्रद्धालुओं को श्री गिरिराज जी व श्री कृष्ण जी दोनों ही की भक्ति प्राप्त होती है।
3. श्री गिरिराज जी कौन है?
आदिकाल से हमारे सनातन धर्म में प्रकृति को ईश्वर का स्वरूप मानते आए हैं। चाहे धरती हो या नदी नाले पर्वत सागर पशु पक्षी सभी में हम ईश्वर का रूप देखते हैं, परमात्मा का दर्शन करते हैं।
कलयुग में गोवर्धन पर्वत को श्री गिरिराज कहा जाता है। श्री गिरिराज का पूजा इनका परिक्रमा बहुत ही शुभ माना गया है। श्री गिरिराज को साक्षात श्री कृष्ण का स्वरूप माना गया है।
श्री गिरिराज गोवर्धन चौरासी कोस में फैला हुआ है। इसका परिक्रमा बहुत ही शुभ फलदाई माना गया है। सच्चे मन से इनका परिक्रमा करने से श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
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आइए अब श्री गिरिराज चालीसा का पाठ करते हैं।
4. श्री गिरिराज चालीसा
।।दोहा।।
बंदहुं वीणा वादिनी, धरि गणपति को ध्याना ।
महाशक्ति राधा सहित, कृष्ण करौ कल्याण ।।
सुमिरन करि सब देवगण, गुरु पितु बारम्बार ।
बरनौ श्री गिरिराज यश, निज मति के अनुसार ।।
।।चौपाई।।
जय हो जय बंदित गिरिराजा ।
ब्रज मंडल के श्री महाराजा ।।1
विष्णु रूप तुम हो अवतारी ।
सुंदरता पै जग बलिहारी ।।2
स्वर्ण शिखर अति शोभा पामें ।
सुर मुनि गण दरशन कूं आमें ।।3
शांत कंदरा स्वर्ग समाना ।
जहां तपस्वी धरते ध्याना ।।4
द्रोणगिरि के तुम युवराजा ।
भक्तन के साधौ हौ काजा ।।5
मुनि पुलस्त्य जी के मन भाए ।
जोर विनय कर तुम कूं लाए ।।6
मुनिवर संघ जब ब्रज में आए ।
लखि ब्रजभूमि यहाँ ठहराए ।।7
विष्णु धाम गौलोक सुहावन ।
यमुना गोवर्धन वृंदावन ।।8
देख देव वन में ललचाए ।
बास करन बहु रूप बनाए ।।9
कोउ बानर कोउ मृग के रूपा ।
कोउ वृक्ष कोउ लता स्वरूपा ।।10
आनंद लें गोलोक धाम के ।
परम उपासक रूप नाम के ।।11
द्वापर अंत भये अवतारी ।
कृष्णचंद्र आनंद मुरारी ।।12
महिमा तुम्हारी कृष्ण बखानी ।
पूजा करिबे की मन ठानी ।।13
ब्रजवासी सबके लिए बुलाई ।
गोवर्द्धन पूजा करवाई ।।14
पूजन कूं व्यंजन बनवाए ।
ब्रजवासी घर घर ते लाए ।।15
ग्वाल बाल मिलि पूजा कीनी ।
सहस भुजा तुमने कर लीनी ।।16
स्वयं प्रकट हो कृष्ण पूजा में ।
मांग मांग के भोजन पामें ।।17
लखि नर नारी मन हरषामें ।
जै जै जै गिरिवर गुण गामें ।।18
देवराज मन में रिसियाए ।
नष्ट करन ब्रज मेघ बुलाए ।।19
छांया कर ब्रज लियौ बचाई ।
एकउ बूंद न नीचे आई ।।20
सात दिवस भई बरसा भारी ।
थके मेघ भारी जल धारी ।।21
कृष्णचंद्र ने नख पै धारे ।
नमो नमो ब्रज के पखवारे ।।22
करि अभिमान थके सुरसाई ।
क्षमा मांग पुनि अस्तुति गाई ।।23
त्राहि माम् मैं शरण तिहारी ।
क्षमा करो प्रभु चूक हमारी ।।24
बार बार बिनती अति कीनी ।
सात कोस परिकम्मा दीनी ।।25
संग सुरभि ऎरावत लाए ।
हाथ जोड़कर भेंट गहाए ।।26
अभय दान पा इंद्र सिहाए ।
करि प्रणाम निज लोक सिधाए ।।27
जो यह कथा सुनैं चित्त लावैं ।
अंत समय सुरपति पद पावैं ।।28
गोवर्द्धन है नाम तिहारौ ।
करते भक्तन कौ निस्तारौ ।।29
जो नर तुम्हरे दर्शन पावें ।
तिनके दुख दूर ह्वै जावें ।।30
कुण्डन में जो करें आचमन ।
धन्य धन्य वह मानव जीवन ।।31
मानसी गंगा में जो नहावें ।
सीधे स्वर्ग लोग कूं जावें ।।32
दूध चढ़ा जो भोग लगावै ।
आधि व्याधि तेहि पास न आवें ।।33
जल फल तुलसी पत्र चढ़ावें ।
मन वांछित फल निश्चय पावें ।।34
जो नर देत दूध की धारा ।
भरौं रहे ताकौ भंडारा ।।35
करें जागरण जो नर कोई ।
दुख दरिद्र भय ताहि न होई ।।36
“ओम” शिलामय निज जन त्राता ।
भक्ति मुक्ति सरबस के दाता ।।37
पुत्रहीन जो तुम कूं ध्यावें ।
ताकूं पुत्र प्राप्ति ह्वै जावें ।।38
दंडौती परिकम्मा करहीं ।
ते सहजहि भवसागर तरहीं ।।39
कलि में तुमसम देव न दूजा ।
सुर नर मुनि सब करते पूजा ।।40
।।दोहा।।
जो यह चालीसा पढ़े, शुद्ध चित्त लाय ।
सत्य सत्य यह सत्य है, गिरिवर करैं सहाय ।
क्षमा करहुं अपराध मम, त्राहि माम् गिरिराज ।
श्याम बिहारी शरण में, गोवर्द्धन महाराज ।।
दोस्तों आज के लेख में हमने श्री गिरिराज चालीसा के पाठ से क्या फायदे होता है, श्री गिरिराज जी कौन है? यह जाना। आप अपनी राय या सुझाव हमें कामेंट बाक्स में बता सकते हैं। हमारे सभी आर्टिकल का लिस्ट देखने के लिए साइटमैप पर क्लिक करें।