Adinath Chalisa ke Fayde: श्री आदिनाथ चालीसा के 10 अद्भुत फायदे
श्री आदिनाथ चालीसा पढ़ने के 10 अद्भुत फायदे। आज हम श्री आदिनाथ भगवान की चालीसा पाठ से क्या क्या लाभ मिलता है, उस बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।
1. श्री आदिनाथ चालीसा पढ़ने के फायदे
किसी भी देवी-देवता की पूजा आराधना या उनके चालीसा पाठ से लाभ तभी मिल पाता है जब उसे सच्चे मन से किया। आइए श्री आदिनाथ चालीसा का पाठ सच्चे मन पूर्ण विश्वास व श्रद्धा भक्ति के साथ करने से क्या फायदे होता है यह जानते हैं :-
1 श्री आदिनाथ चालीसा के पाठ से व्यक्ति स्वावलंबी बनता है। उनको मेहनत करना अच्छा लगता है।
2. श्री आदिनाथ चालीसा पढ़ने से व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है। उनमें किसी भी तरह की परेशानियां व दुःख तकलीफ से जुझने की ताकत आती है।
3. श्री आदिनाथ चालीसा के पाठ से व्यक्ति का मानसिक विकास होता है। वह सिर्फ लाभ हानि या फायदे नुकसान को नहीं देखता, वह सच्चाई और नीति को देखता है।
4. जो व्यक्ति ब्रम्हचारी है, उसे अपना ब्रम्हचर्य स्थापित रखने में मदद मिलती है।
5. श्री आदिनाथ भगवान की पूजा आराधना व उनके चालीसा पाठ से साधक को सद्बुद्धि व सद्ज्ञान की प्राप्ति होती है।
6. श्री आदिनाथ चालीसा के पाठ से सभी प्रकार के कष्ट, क्लेश, विकार दूर होते हैं।
7. श्री आदिनाथ चालीसा का नियमित पाठ करने से व्यक्ति का समाज में मान सम्मान बढ़ता है।
8. श्री आदिनाथ चालीसा का पाठ सच्चे मन से करने से व्यक्ति का दरिद्रता दूर होती है। व्यक्ति का गरीबी दूर होता है। धन प्राप्ति के योग बनते हैं। जिससे व्यक्ति धनवान बनता है।
9. ऐसा व्यक्ति जो नि:संतान है, उसे चरित्रवान संतान की प्राप्ति होती है।
10. श्री आदिनाथ चालीसा के प्रभाव से व्यक्ति संसारिक मोह-माया से ऊपर उठता है। वह गृहस्थ जीवन का निर्वाह करते हुए भी साधुवाद को प्राप्त करता है।
श्री आदिनाथ चालीसा का पाठ प्रतिदिन 40 बार 40 दिन तक करने से चालीसा सिद्ध होती है। लेकिन सामान्य गृहस्थ लोगों को चालीसा सिद्ध करने की आवश्यकता नहीं है। प्रतिदिन अपने सुविधा अनुसार 1 बार या 3, 5, 9 बार करना उचित रहता है।
आप चालीसा पाठ कितने बार कर रहे हैं, उससे ज्यादा महत्वपूर्ण किस भाव से कर रहे हैं, आपमें श्रद्धा है या नही यह मायने रखता है।
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2. श्री आदिनाथ चालीसा – हिंदी में
।। दोहा ।।
शीश नवा अरिहंत को, सिद्धन करूं प्रणाम।
उपाध्याय आचार्य का ले सुखकारी नाम ।।
सर्व साधु और सरस्वती, जिन मन्दिर सुखकार।
आदिनाथ भगवान को, मन मन्दिर में धार ।।
।। चौपाई ।।
जय जय आदिनाथ जिन के स्वामी।
तीनकाल तिहूं जग में नामी।।1
वेष दिगम्बर धार रहे हो।
कर्मों को तुम मार रहे हो ।।2
हो सर्वज्ञ बात सब जानो।
सारी दुनिया को पहचानो।।3
नगर अयोध्या जो कहलाये।
राजा नभिराज बतलाये ।।4
मरूदेवी माता के उदर से।
चैतबदी नवमी को जन्मे ।।5
तुमने जग को ज्ञान सिखाया।
कर्मभूमी का बीज उपाया ।।6
कल्पवृक्ष जब लगे बिछरने।
जनता आई दुखडा कहने ।।7
सब का संशय तभी भगाया।
सूर्य चन्द्र का ज्ञान कराया ।।8
खेती करना भी सिखलाया।
न्याय दण्ड आदिक समझाया ।।9
तुमने राज किया नीती का ।
सबक आपसे जग ने सीखा ।।10
पुत्र आपका भरत बतलाया।
चक्रवर्ती जग में कहलाया ।।11
बाहुबली जो पुत्र तुम्हारे।
भरत से पहले मोक्ष सिधारे ।।12
सुता आपकी दो बतलाई।
ब्राह्मी और सुन्दरी कहलाई ।।13
उनको भी विध्या सिखलाई।
अक्षर और गिनती बतलाई ।।14
इक दिन राज सभा के अंदर।
एक अप्सरा नाच रही थी ।।15
आयु बहुत बहुत अल्प थी।
इस लिय आगे नही नाच सकी थी ।।16
विलय हो गया उसका सत्वर।
झट आया वैराग्य उमड़ कर ।।17
बेटों को झट पास बुलाया।
राज पाट सब में बटवाया ।।18
छोड़ सभी झंझट संसारी।
वन जाने की करी तैयारी ।।19
राजा हजारो साथ सिधाए।
राजपाट तज वन को धाये ।।20
लेकिन जब तुमने तप कीना।
सबने अपना रस्ता लीना ।।21
वेष दिगम्बर तज कर सबने।
छाल आदि के कपडे पहने ।।22
भूख प्यास से जब घबराये।
फल आदिक खा भूख मिटाये ।।23
तीन सौ त्रेसठ धर्म फैलाये।
जो जब दुनिया में दिखलाये ।।24
छः महिने तक ध्यान लगाये।
फिर भोजन करने को धाये ।।25
भोजन विधि जाने न कोय।
कैसे प्रभु का भोजन होय ।।26
इसी तरह चलते चलते।
छः महिने भोजन को बीते ।।27
नगर हस्तिनापुर में आये।
राजा सोम श्रेयांस बताए ।।28
याद तभी पिछला भव आया।
तुमको फौरन ही पडगाया ।।29
रस गन्ने का तुमने पाया।
दुनिया को उपदेश सुनाया ।।30
तप कर केवल ज्ञान पाया।
मोक्ष गए सब जग हर्षाया ।।31
अतिशय युक्त तुम्हारा मन्दिर।
चांदखेड़ी भंवरे के अंदर ।।32
उसको यह अतिशय बतलाया।
कष्ट क्लेश का होय सफाया ।।33
मानतुंग पर दया दिखाई।
जंजिरे सब काट गिराई ।।34
राजसभा में मान बढाया।
जैन धर्म जग में फैलाया ।।35
मुझ पर भी महिमा दिखलाओ।
कष्ट भक्त का दूर भगाओ ।।36
।। सोरठा ।।
पाठ करे चालीस दिन, नित चालीस ही बार,
चांदखेड़ी में आयके, खेवे धूप अपार ।
जन्म दरिद्री होय जो, होय कुबेर समान,
नाम वंश जग में चले, जिसके नही संतान ।।
दोस्तों आज के लेख में हमने भगवान श्री आदिनाथ के चालीसा पाठ से क्या फायदे व लाभ मिलता है, उसका जानकारी प्राप्त किया। आप अपनी राय या सुझाव हमें कामेंट बाक्स में बता सकते हैं। हमारे सभी आर्टिकल का लिस्ट देखने के लिए यहां क्लिक करें।